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आपने मुगल साम्राज्य के बारे में कहीं ना कहीं तो अवश्य पढ़ा या सुना होगा और आपके भी दिमाग में यह प्रश्न आया होगा की मुगल साम्राज्य भारत में कैसे आया और इसकी स्थापना किसने की इस पोस्ट Mughal samrajya in hindi में हम इन्हीं सारे सवालों के जवाब देंगे।
ज़हीरुद्दीन मुहम्मद ( बाबर )
ज़हीरुद्दीन मुहम्मद ( बाबर ) मुगल साम्राज्य के संस्थापक और पहला शासक था। बाबर का जन्म 14 फ़रवरी 1483 उज़्बेकिस्तान में हुआ था। यह तैमूर ख़ान और चंगेज़ ख़ान का वंशज था। बाबर के पिता का नाम उमर शेख़ मिर्ज़ा और
माता का नाम क़ुतलुग़ निगार ख़ानम था। उमर शेख़ मिर्ज़ा फरगना घाटी के शासक थे।
बाबर अपनी माता क़ुतलुग़ निगार ख़ानम का बड़ा बेटा था।
बाबर की मातृभाषा क्या था? Mother tongue of Babar
बाबर की मातृभाषा चग़ताई भाषा थी पर फ़ारसी भाषा उज़्बेकिस्तान मे बोली जाने वाली मुख्य भाषा थी ।
बाबर का पुरा नाम क्या था?
बाबर का पुरा नाम ज़हीरुद्दीन मुहम्मद ( बाबर ) था दरअसल चुगताई लोग असभ्य तथा असंस्कृत थे तब उन्हे ज़हीरुद्दीन मुहम्मद का उच्चारण करना कठिन लग रहा था । इस कारण बाबर के चचेरे भाई मुहम्मद हैदर ने बाबर नाम रख दिया।
बाबर ने चुगताई में बाबरनामा के नाम से अपना जीवनी लिखा था।
बाबर मंगोल जाति (जिसे फ़ारसी में मुगल कहते थे) का होने के बावजूद भी उसकी जनता और अनुचर तुर्क तथा फ़ारसी लोग थे।
बाबर की सेना
बाबर की सेना में तुर्क, फारसी, पश्तो के अलावा बर्लास तथा मध्य एशियाई कबीले के लोग भी थे
बाबर की ताकत
बाबर बहुत हि शक्तिशाली, ताकतवर और बहादुर था व्यक्ति था जो की अपने दोनो हाथों से एक एक लोग को टांग कर दौड़ सकता था यहा तक की सफर के दौरान रास्ते मे आने वाली नदियां भी आसानी से तैरकर पार कर देता था।
दो बार तो बाबर ने गंगा नदी को भी तैरकर पार किया था।
बाबर ने भारत पर कितने बार हमला किया ?
बाबर ने भारत पर 5 बर आक्रम किया था।
बाबर के भाई का नाम
बाबर के भाई का नाम चंगेज खान था।
बाबर के कितने पुत्र थे?
बाबर के चार पुत्र थे
-
हमायूँ
- कामरान
- मिर्जा असकरी
- मिर्जा हिन्दाल
बाबर की मृत्यु कैसे हुई?
बाबर अपने पुत्र हुमायूँ को बहुत प्यार करता था। बाबर का पुत्र एक बार बहुत ज्यादा बीमार था हुमायूँ के स्वास्थ्य मे कोई सुधार नही हो रहा था। अपने पुत्र हुमायूँ के बीमार पड़ने पर बाबर ने अल्लाह से हुमायूँ को स्वस्थ्य करने तथा उसकी बीमारी खुद को दिये जाने की प्रार्थना की । इसके उसे हुमायूँ की बीमारी सही होने लगा वह स्वस्थ हो गया पर बाबर का स्वास्थ्य बिगड़ गया और अंततः वो 1530 में 48 वर्ष की उम्र में मर गया।
बाबर भारत मे किस लिया प्रसिद्ध था ?
मुबईयान नामक पद्य शैली का जन्मदाता बाबर को ही माना जाता है। 1504 ई॰ में काबुल तथा 1507 ई॰ में कन्धार को जीता तथा बादशाह की उपाधि धारण किया । 1519 से 1526 ई॰ तक भारत पर इसने 5 बार आक्रमण किया। 1526 में बाबर ने पानीपत के मैदान में दिल्ली सल्तनत के अंतिम सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराकर मुग़ल साम्राज्य के संस्थापक बना ।
बाबर का शासनकाल
1494 में 12वर्ष की आयु में ही बाबर को फ़रगना घाटी के शासक का पद सौंपा गया। फरगना का शासन उसकी दादी दौलत बेगम की वजह से मिला।
बाबर का पहला युद्ध कब हुआ?
21 अप्रैल, 1526 में काबुल के तैमूरी शासक ज़हीर उद्दीन मोहम्मद बाबर, की सेना ने दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोधी की एक बहुत बड़ी सेना को युद्ध में परास्त किया। युद्ध 21 अप्रैल 1526 को पानीपत के निकट लड़ा गया था। पानीपत वो स्थान है जहाँ बारहवीं शताब्दी के बाद से उत्तर भारत के नियंत्रण को लेकर कई निर्णायक लड़ाइयां लड़ी गयीं।
पानीपत की प्रथम लड़ाई जितने के पीछे का कारण है कि बाबर के पास दो प्रसिद्ध निशाने बाज उस्ताद अली और मुस्तफा और तुगलूमा नीति का प्रयोग किया।
बाबर के द्वारा लड़े गये युद्ध
(1) पानीपत का प्रथम युद्ध 21 अप्रैल, 1526 ई
(2) खनवा का युद्ध 17 मार्च 1527 ई
(3) चंदेरी का युद्ध 29 मार्च 1528 ई
(4) घाघरा का युद्ध 6 मई 1529 ई
पानीपत का प्रथम युद्ध (21 अप्रैल,1526) / First Battle of Panipat
पानीपत का प्रथम युद्ध बाबरनामा के अनुसार 21 अप्रैल 1526 को लड़ा गया था। बाबर चाहता था कि दिल्ली की सल्तनत पर फिर से तैमूरवंशियों का शासन हों । एक तैमूरवंशी होने के कारण वो दिल्ली सल्तनत पर कब्ज़ा करना चाहता था। उसने सुल्तान इब्राहिम लोदी को अपनी इच्छा से अवगत कराया परन्तु इब्राहिम लोदी के जबाब नहीं आने पर बाबर ने छोटे-छोटे आक्रमण शुरु कर दिया । सबसे पहले उसने कंधार पर शिकांजा कसा । इधर शाह इस्माईल को तुर्कों के हाथों भारी हार का सामना करना पड़ा। इस युद्ध के बाद शाह इस्माईल और बाबर दोेनो ने बारूदी हथियारों तोपों का उपयोग अपनी सेना में आरंभ किया। इसके बाद उसने इब्राहिम लोदी पर आक्रमण किया। बाबर की सेना इब्राहिम लोदी की सेना के सामने बहुत छोटी थी। सेना में एकता के अभाव के करण इब्राहिम लोदी इस युद्ध मे बाबर से हार गया। इस युद्ध में बाबर ने तुलुगमा पद्धति का प्रयोग किया था और साहस के साथ विजय प्राप्त किया था। इसके बाद दिल्ली की सत्ता पर बाबर का अधिकार हो गया और उसने 1526 मे मुगलवंश की नींव रखी।
खानवा का युद्ध 17 मार्च 1527 / Battle of Khanva
17 मार्च 1527 में मेवाड़ के शासक राणा सांगा और बाबर के बीच हुआ था। इस युद्ध में राणा सांगा का साथ खास तौर पर मुस्लिम यदुवंशी राजपूत जो मेवात के शासक खानजादा राजा हसन खान मेवाती और मेहमूद लोदी (इब्राहिम लोदी के भाई ) ने दिया था।
इस युद्ध में मारवाड़, अम्बर, ग्वालियर, अजमेर और बसीन चंदेरी भी मेवाड़ का साथ दे रहे थे।
राजपूतों ने एक बड़ा-सा क्षेत्र स्वतंत्र कर लिया था और वे दिल्ली की सत्ता पर कब्ज़ा करना चाहते थे।
बाबर लाखों मुग़ल सैनिकों को लेकर साँगा से युद्ध करने उतरा था।
बाबर और साँगा का पहला युद्ध बयाना में और दूसरा युद्ध खानवा नामक स्थान पर हुई।
खानवा के युद्ध में भी पानीपत के युद्ध की रणनीति का उपयोग करके बाबर ने राणा साँगा के खिलाफ़ एक सफल युद्ध विजय किया।
राजपूतों का जितना तय था पर युद्ध के दौरान राणा सांगा घायल हो गया और घायल अवस्था में वो लड़ नही सकता था तो उनके साथियो ने उन्हें युद्ध से बाहर होने दिया और उसके साथियों के हाथों से जीती हुई बाज़ी निकल गई और राणा सांगा की हार हुई तथा बाबर की विजय हुई ।
इसके एक साल के बाद राणा सांगा की 30 जनवरी 1528 को मौत हो गई। यही से बाबर ने भारत में रहने का निश्चय किया और दिल्ली की गद्दी का अविवादित अधिकारी बन गया। इस युद्ध में हीं प्रथम बार बाबर ने धर्म युद्धद नारा दिया इसी युद्ध के बाद बाबर ने गाजी अर्थात दानी की उपाधि ली थी।
चंदेरी पर आक्रमण 29 जनवरी 1528 / Attack on Chanderi
मेवाड़ हसील करने के बाद बाबर ने अपने सैनिक अधिकारियों को पूर्व में विद्रोहियों का दमन करने के लिए भेजा दिया क्योंकि पूरब में बंगाल के शासक नुसरत शाह ने अफ़गानों का समर्थन किया था इससे उत्साहित होकर अफ़गानों ने अनेक स्थानों से मुगलों को निकाल भगाया था ।
चंदेरी का राजपूत शासक मेेेेदिनीराय खंगार खानवा के युद्ध में राणा सांगा की ओर से लड़ा था और चंदेरी मैं राजपूत सत्ता का भी पुनर्गठन हो रहा था बाबर की दृष्टि में राजपूत संगठन अफगानों की अपेक्षा अधिक गंभीर विषय था अतः वह राजपूत शक्ति को नष्ट करना अधिक आवश्यक समझता था चंदेरी का अपना एक व्यापारिक तथा सैनिक महत्व भी था, वह मालवा तथा राजपूताने में प्रवेश करने के लिए उपयुक्त स्थान था बाबर ने सेना को चंदेरी पर आक्रमण करने के लिए भेजी थी पर उसे राजपूतों ने हारा दिया इससे बाबर ने स्वयं चंदेरी जाने का निश्चय किया क्योंकि बाबर नही चाहता था की चंदेरी राजपूत शक्तियों का केंद्र बने।
बाबर ने चंदेरी के विरुद्ध लड़ने के लिए 21 जनवरी 1528 की तारीख को घोषित किया ।
बाबर ने मेेेेदिनीराय खंगार के पास संदेश भेजा कि वह शांति से आत्म समर्पण कर दे तो उसे शमशाबाद की जागीर दी जा सकती है मेेेेदिनीराय खंगार ने प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया और राजपूतों ने भयंकर युद्ध किया ।
बाबर ने तोप खाने की मदद से एक ही घंटे में चंदेरी पर अधिकार कर लिया उसने चंदेरी का राज्य मालवा सुल्तान के वंशज अहमद शाह को दे दिया और जीत कहा की वह 20 लाख दाम प्रति वर्ष उसके शाही कोष में जमा करता रहे।
घाघरा का युद्ध / Battle of Ghaghra
बाबर ने 06 मई, 1529 ई. को बंगाल एवं बिहार की संयुक्त सेना को घाघरा के युद्ध में कुचल डाला था।
घाघरा का युद्ध उत्तर प्रदेश के घाघरा नदी के तट पर लड़ा गया था। घाघरा का युद्ध बाबर द्वारा लड़ा गया अंतिम युद्ध था एवं इस युद्ध मे जल एवं थल दोनों जगह लड़ा गया।
बाबर ने गंगा नदी पार करके घाघरा नदी के पास आफगानों से घमासान युद्ध किया और उन्हें पराजित किया। बाबर ने नुसरत शाह से संधि की जिसके अनुसार नुसरत शाह ने अफगान विद्रोहियों को शरण ना देने का वचन दिया।
बाबर ने अफगान जलाल खान को अपने कब्ज़े मे किया जो उस समय बिहार का शासक था, और उसे आदेश दिया कि वह शेर खां को अपना मंत्री बनाये।
बाबर किसका अनुयायी था?
बाबर प्रसिद्ध नक्शबनदी सूफ़ी ख़्वाजा उबैदुल्ला अहरार का अनुयायी था।
बाबर के मृत्यु के बाद किसने शासन किया ?
बाबर के मरने के बाद बाबर के बड़े बेटे हुमायूँ ने शासन किया ।
मुगल साम्राज्य का पहला शासक कौन था?
ज़हीरुद्दीन मुहम्मद ( बाबर ) मुगल साम्राज्य के संस्थापक और पहला शासक था ।