छत्रपति शिवाजी महाराज का सम्पूर्ण जीवनी / Chhatrapati Shivaji Maharaj ka sampurn jiveni / Chhatrapati Shivaji Maharaj bioghraphy in Hindi

Chhatrapati Shivaji Maharaj ka sampurn jiveni

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छत्रपति शिवाजी महाराज का सम्पूर्ण जीवनी / Chhatrapati Shivaji Maharaj ka sampurn jiveni / Chhatrapati Shivaji Maharaj bioghraphy in Hindi छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती 19 फरवरी को है जिनके जीवन के बारे में सभी जरुरी जानकारिया प्रदान कर रहे है।

छत्रपति शिवाजी महाराज का बचपन / Chhatrapati Shivaji Maharaj ka bachpan

  • छत्रपति शिवाजीराजे भोसले का जन्म 19 फरवरी, 1630 को पुणे जिले के जुन्नार गाँव के शिवनेरी किले में हुआ था।
  • शिवाजी का नाम उनकी माता जिजाबाई जाधवराव ने भगवान शिवाई के उपर रखा था जिनकी वह बहुत बड़ी भक्त थी।
  • शिवाजी के पिता का नाम शहाजीराजे भोंसले था जो बीजापुर के जनरल थे जो उस समय डेक्कन के सुल्तान के हाथों में था।
  • शिवाजी अपनी माँ के बेहद करीब थे और उनकी माता बहुत धार्मिक प्रवत्ति की थी। जिसका प्रभाव शिवाजी पर भी पड़ा था और उन्होंने रामायण तथा महाभारत को बहुत ध्यान से पढ़ा था और उससे सीखी हुई बातो को अपने जीवन में उतारा।
  • शिवाजी को हिंदुत्व का बहुत ज्ञान था जिसे उन्होंने पुरे जीवन में हिन्दू धर्म को दिल से माना और हिन्दुओं के लिए बहुत से कार्य किये।
  • शिवाजी के पिता शहाजीराजे भोंसले ने दूसरी शादी कर ली और बेटे शिवाजी और पत्नी जिजाबाई को किले की देख रेख करने वाले दादोजी कोंडदेव के पास छोड़ कर कर्नाटक चले गए।

छत्रपति शिवाजी महाराज की शिक्षा / Chhatrapati Shivaji Maharaj ki shiksha

  • शिवाजी को हिन्दू धर्म की शिक्षा दादोजी कोंडदेव से भी मिली थी जहा उन्होंने सेना के बारे में, घुड़सवारी के बारे में और राजनीती के बारे में भी बहुत सी बातें सीखी।
  • शिवाजी बचपन से ही बहुत बुद्धिमान और तेज दिमाग के थे, उन्होंने बहुत अधिक शिक्षा तो ग्रहण नहीं किया था लेकिन जितना भी उन्हें बताया या सिखाया जाता था, वह उसे बहुत मन लगाकर सीखते थे।
  • 12 साल की उम्र में शिवाजी बंगलौर चले गए जहाँ उन्होंने अपने भाई संभाजी और माँ के साथ शिक्षा ग्रहण किया।

छत्रपति शिवाजी महाराज की पत्निया / Chhatrapati Shivaji Maharaj ki patniya

14 मई 1640 को बंगलौर में उन्होंने 12 साल की उम्र में साईंबाई से विवाह कर लिया।

शिवजी ने कुल 8 विवाह किया था जो है

  • सईबाई निंबालकर – (संभाजी, रानूबाई, सखूबाई, अंबिकाबाई)
  • सोयराबाई मोहिते -(राजाराम,दीपाबाई )
  • पुतलाबाई पालकर
  • सकवरबाई गायकवाड -(कमलाबाई)
  • सगुणाबाई शिर्के – (राजकुवरबाई)
  • काशीबाई जाधव
  • लक्ष्मीबाई विचारे
  • गुंवांताबाई इंगले

छत्रपति शिवाजी महाराज की लडाइयां Chhatrapati Shivaji Maharaj ki ladaiya

  • 15 साल की उम्र में शिवाजी ने पहली लड़ाई लड़ी और तोरना किले में हमला करके उसे जीत लिया था।
  • इसके बाद उन्होंने कोंडाना और राजगढ़ किले में भी जीत का परचम लहराया।
  • शिवाजी के बढ़ते ताकत को देखकर बीजापुर के सुल्तान ने शहाजीराजे भोंसले को कैद कर लिया जिसके लिए शिवाजी और उनके भाई संभाजी ने कोंडाना के किले को वापस कर दिया और जिसके बाद बीजापुर के सुल्तान ने उनके पिताजी को छोड़ दिया।
  • अपनी रिहाई के बाद शहाजीराजे बीमार रहने लगे और 1964-65 के आस पास उनकी मौत हो गई।
  • फिर शिवाजी ने पुरंदर और जवेली की हवेली में भी जीत हासिल कर कर लिया और मराठा का परचम लहराया।
  • 1659 में बीजापुर के सुल्तान ने शिवाजी के खिलाफ अफजल खान की एक बहुत बड़ी सेना भेज दिया और हिदायत दिया की शिवाजी को जिंदा या मुर्दा हुआ लेकर आये।
  • अफजल खान ने शिवाजी को मारने की कोशिश कूटनीति से किया लेकिन शिवाजी ने अपनी चतुराई से अफजल खान को विफल कर दिया और अफजल खान को ही मार डाला।
  • शिवाजी की सेना ने बीजापुर के सुल्तान को प्रतापगढ़ में हराया था। यहाँ शिवाजी की सेना को बहुत से अस्त-शस्त्र, हथियार मिले जिससे मराठा की सेना और भी ताकतवर हो गई थी।
  • बीजापुर के सुल्तान ने एक बार फिर से बड़ी सेना भेजी जिसे इस बार रुस्तम ज़मान ने नेतृत्व किया था लेकिन इस बार भी शिवाजी की ताकतवर सेना ने उन्हें कोल्हापुर में हरा दिया था।

छत्रपति शिवाजी महाराज और मुगलों की लड़ाई / Chhatrapati Shivaji Maharaj aur muglon ki ladai

  • शिवाजी जैसे जैसे आगे बढ़ते गए उनके दुश्मन भी बढ़ते गए जिसमे शिवाजी के सबसे बड़े दुश्मन मुग़ल थे।
  • 1657 में शिवाजी ने मुगलों के खिलाफ लड़ाई शुरू कर दिया उस समय मुग़ल साम्राज्य औरंगजेब के हक में था।
  • औरंगजेब ने शाइस्ता खान की सेना को शिवाजी के खिलाफ खड़ा कर दिया और पुना में अधिकार जमा लिया और सेना का विस्तार वही किया।
  • एक रात शिवाजी ने अचानक पुना में हमला कर दिया और हजारों मुग़ल सेना के लोग उनके शिकार बने और शाइस्ता खान अपनी जान बचाकर भाग निकला।
  • फिर छत्रपति शिवाजी महाराज ने 1664 में सूरत में भी अपना परचम लहराया।

पुरान्दर की संधि

  • औरंगजेब ने हार नहीं मानी और इस बार उसने अम्बर के राजा जय सिंह और दिलीर सिंह को शिवाजी के खिलाफ युद्ध के लिए खड़ा कर दिया।
  • जय सिंह ने उन सभी किलो को जीत लिया जिनको शिवाजी ने जीता था और पुरन्दरपुर में शिवाजी को हरा दिया।
  • जय सिंह से हारने के बाद शिवाजी को मुगलों के साथ समझौता करना पड़ा था।
  • शिवाजी ने 23 किलों के बदले मुगलों का साथ दिया और बीजापुर युद्ध के खिलाफ मुग़ल के साथ खड़ा होना पड़ा।

छत्रपति शिवाजी महाराज का छुपना Chhatrapati Shivaji Maharaj ka agra se nikal jana

  • औरंगजेब ने समझोते के बावजूद शिवाजी से अच्छा व्यव्हार नहीं किया, उसने शिवाजी और उनके बेटे को जेल में बंद कर दिया।
  • लेकिन चुपके से शिवाजी अपने बेटे के साथ आगरा के किले से भाग निकले।
  • अपने घर पहुँचने के बाद शिवाजी ने नयी ताकत के साथ मुगलों के खिलाफ फिरसे जंग छेड़ दिया औरंगजेब ने हार मानकर शिवाजी को राजा मान लिया।
  • 1674 में शिवाजी महाराष्ट्र के एक अकेले शासक बन गए और उन्होंने हिन्दू रीती-रिवाजों के अनुसार शासन किया।

छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक / Chhatrapati Shivaji Maharaj ka Rajyabhishek

  • 1674 में महाराष्ट्र में हिन्दू राज्य की स्थापना शिवाजी ने किया। जिसके बाद उन्होंने अपना राज्याभिषेक करवाया।
  • शिवाजी कुर्मी जाति के थे जिन्हें उस समय शुद्र ही माना जाता था जिसके वजह से सभी ब्राह्मणो ने विरोध कर दिया और उनका राज्याभिषेक करने से मना कर दिया।
  • फिर शिवाजी ने बनारस के भी ब्राह्मणों को न्योता भेजा लेकिन उन्होंने भी मन कर दिया जिसके चलते शिवाजी ने उन्हें घूस देकर मनाया और फिर उनका राज्याभिषेक हुआ।
  • यही पर शिवजी को छत्रपति की उपाधि से सम्मानित किया गया. इसके 10 -12 दिन के बाद उनकी माता जिजाभाई का देहांत हो गया।
  • जिससे शिवाजी ने शोक मनाया और कुछ समय बाद दोबारा अपना राज्याभिषेक कराया। इस बार शिवाजी ने बहुत खर्चा किया और दूर-दूर से राजा पंडितों को बुलाया गया।
  • शिवाजी ने राज्याभिषेक के बाद अपने नाम का सिक्का भी चलाया था।

छत्रपति शिवाजी महाराज का राष्ट्रीय ध्वज Chhatrapati Shivaji Maharaj ka rashtriya dwajh

  • शिवाजी ने अपना राष्ट्रीय ध्वज नारंगी रंग का लगाया था जिसे हिंदुत्व का प्रतीक माना जाता हैं और इसके पीछे एक कहानी भी है जिसमे शिवाजी रामदास जी से बहुत प्रेम करते थे क्योकि शिवाजी ने उनसे शिक्षा ग्रहण किया था।
  • एक बार की बात है छत्रपति शिवाजी महाराज के ही साम्राज्य में रामदास जी भीख मांग रहे थे तभी अचानक से शिवाजी ने देखा और शिवाजी बहुत दुखी हुए और फौरन उन्हें अपने महल में ले गए और उनके चरणों में गिरकर उनसे आग्रह करने लगे कि वे भीख ना मांगे चाहे तो ये सारा साम्राज्य ले लें। स्वामी रामदास जी छत्रपति शिवाजी की भक्ति देखकर बहुत खुश हुए परन्तु वह सांसारिक जीवन से दूर ही रहना चाहते थे।
  • इसलिए स्वामी रामदास जी ने साम्राज्य का हिस्सा बनने से तो मना कर दिया और शिवाजी से कहा कि वे अच्छे से अपने साम्राज्य को संचालित करें।
  • स्वामी रामदास जी ने शिवाजी को अपने वस्त्र का एक टुकड़ा फाड़ कर दिया और बोला की इसे अपना राष्ट्रीय ध्वज बनाओ, ये हमेशा तुम्हे मेरी याद दिलाएगा और मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा।

छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना / Chhatrapati Shivaji Maharaj ki sena

  • शिवाजी के पास एक बहुत बड़ी सेना थी जिसका ध्यान शिवाजी एक पिता की तरह रखते थे।
  • शिवाजी सिर्फ काबिल लोगों को ही अपनी सेना में शामिल करते थे उनके पास इतनी समझ थी कि वे इस विशाल सेना को अच्छे से चला सकते है।
  • उन्होंने पूरी सेना को बहुत अच्छे से तैयार किया जो एक इशारे पर वे सब समझ जाते थे की क्या करना है।
  • शिवाजी के समय तरह तरह के टैक्स लिए जाते थे, लेकिन शिवाजी बहुत दयालु राजा थे इसलिए वे कभी भी जबरजस्ती से टैक्स नहीं लेते थे।
  • उन्होंने बच्चों,औरतों और ब्राह्मणों के लिए बहुत कार्य किये है और बहुत सी प्रथाओं को भी बंद किया है।
  • उस समय में मुग़लो ने हिंदुओ पर बहुत अत्याचार करते थे उनसे टैक्स लेते थे और जबरजस्ती इस्लाम धर्म अपनाने को कहते थे ऐसे समय में छत्रपति शिवाजी हिन्दुओ के लिए मसीहा बनकर आये थे।
  • शिवाजी ने एक मजबूत नेवी की स्थापना किया था जो समुंद्र के अंदर भी तैनात होती और दुश्मनों से रक्षा करती थी और समुंद्र में नज़र जमाये रखती थी ।
  • उस समय अंग्रेज और मुग़ल दोनों ही शिवाजी के किलों में बुरी नजर लगाए बैठे थे इसलिए उन्हें भारतीय नौसेना का पिता कहा जाता है।

छत्रपति शिवाजी महाराज की म्रत्यु / Chhatrapati Shivaji Maharaj ki mrityu

राज्य की चिंता को लेकर शिवजी के मन में काफी असमंजस था जिसके चलते शिवाजी बहुत कम उम्र में दुनिया से चल बसे थे।
जिसके कारण शिवाजी की तबियत ख़राब होने लगा और लगातार 3 हफ़्तों तक उनको तेज बुखार हो गया था जिसके बाद 3 अप्रैल 1680 में उनका देहांत हो गया उस समय उनका उम्र 50 वर्ष था।
शिवाजी के मरने के बाद भी उनके सबसे वफादारों ने मिलकर उनके साम्राज्य को संभाले रखा और मुगलों और अंग्रेजों से उनकी लड़ाई जारी रहा।

  • शिवाजी एक महान हिन्दू रक्षक थे जिन्होंने एक कूटनीति योजना बनाई थी जिसके अन्तर्गत किसी भी साम्राज्य में अचानक से बिना किसी पूर्व सुचना के आक्रमण किया जाता था।
  • जिसके बाद मज़बूरी में वहां के शासक को अपनी गद्दी छोड़नी पड़ती थी।
  • शिवाजी के इस नीति को गनिमी कावा के नाम से जाना जाता है जिसके लिए शिवाजी को हमेशा याद किया जाता है।
  • छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिन्दू समाज को नया रूप दिया था यदि वे नहीं होते तो आज हमारा देश हिन्दू देश ना होकर मुग़ल के कब्जे में होता और वे पूरी तरह से हमारे उपर शासन करते।
  • यही वजह है की छत्रपति शिवाजी महाराज को मराठा में सभी भगवान का रूप मानते है।

छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती का महोत्सव / Chhatrapati Shivaji Maharaj ki Jayanti ka mahotsav

  • शिवाजी महाराज की याद में हर साल की तरह इस साल भी पुरे देश में छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती 19 फ़रवरी 2023 को मनाई जाएगी।
  • इस साल आगरा के किले में शिवाजी जयंती की बहुत बड़ी तैयारी किया जा रहा है।
  • आज से करीब 357 साल पहले…मुगल शासक औरंगजेब ने छत्रपति शिवाजी को समझोते के बावजूद अच्छा व्यवहार नहीं किया और आगरा में कैद करने का आदेश दिया था.
  • तीन महीने तक कैद में रहने के बाद शिवाजी यहां से सुरक्षित ढंग से अपने बेटे के साथ फरार हो गए थे। शिवाजी के इस साहस का मराठा इतिहास में अलग स्थान है।
  • इसी को याद करते हुए महाराष्ट्र की सरकार की ओर से आगरा के किले में 19 फरवरी को शिवाजी जयंती के भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
  • शिवाजी जयंती में सीएम योगी आदित्यनाथ और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी शामिल होंगे।
2023 में छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती का महोत्सव कब मनाया जायेगा ?

19 फरवरी

भारतीय नौसेना का पिता कौन है ?

छत्रपति शिवाजी महाराज

छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म कब हुआ ?

19 फरवरी, 1630

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