महर्षि दयानंद सरस्वती का जीवनी / Biography of Maharishi Dayanand Saraswati in Hindi

Maharishi Dayanand Saraswati

आज हम आपको महर्षि दयानंद सरस्वती का जीवनी / Biography of Maharishi Dayanand Saraswati in Hindi आर्य समाज के स्थापना करने वाले महर्षि दयानंद सरस्वती जी के बारे मे बताएंगे। भारत मे हर साल फरवरी मे महर्षि दयानंद सरस्वती के जन्म दिन पर जयंती मनाई जाती है।
महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती को 2023 मे 15 फ़रवरी को मनाया जायेगा।

महर्षि दयानंद सरस्वती का जन्म / Birth of Maharishi Dayanand Saraswati

महर्षि दयानंद सरस्वती का जन्म 12 फरवरी 1824 को टंकारा , गुजरात में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था जिनका बचपन का नाम मूलशंकर धनु राशि और मूल नक्षत्र मे पैदा होने के कारण पड़ा था।
इनके पिता जी का नाम करशनजी लालजी तिवारी था जो एक कर कलेक्टर थे और माता का नाम यशोदाबाई था।

महाशिवरात्रि को बोध हुआ

  • जब महर्षि दयानंद सरस्वती छोटे थे तब वह शिव के पक्के भक्त थे उनके पिता ने उन्हे महाशिवरात्रि के अवसर पर व्रत रखने को कहा।
  • मूलशंकर रात मे शिव मंदिर मे रुके हुए थे तभी उन्होंने देखा की शिवलिंग के उपर चूहें उत्पात मचा रहे है।
  • उनको बोध हुआ की यह वह शंकर नही है जिसकी कथा उन्होंने सुनी थी।
  • इसके बाद मूलशंकर के मन मे सच्चे शिव के प्रति जिज्ञासा जाग उठी और वह मंदिर से वापस घर चले गए।

महर्षि दयानंद सरस्वती जी का सन्यासी रूप / Sanyasi form of Maharishi Dayanand Saraswati

  • दयानंद सरस्वती का पूरा नाम महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती था जो आर्य समाज के प्रवर्तक और प्रखर सुधारवादी संन्यासी थे।
  • अपनी छोटी बहन और चाचा की हैजे से मृत्यु से अत्यन्त दु:खी होकर इन्होने संसार त्याग करने तथा मुक्ति प्राप्त करने का निश्चय था।
  • दयानंद सरस्वती को 14 साल की उम्र तक उन्हें रुद्री आदि के साथ-साथ यजुर्वेद और अन्य वेदों के भी कुछ अंश याद हो गए थे।
  • दयानंद सरस्वती व्याकरण के भी अच्छे ज्ञाता थे। 1863 से 1875 ई. तक स्वामी जी देश का भ्रमण करके अपने विचारों का प्रचार करते रहें।
  • महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती आधुनिक भारत के महान चिन्तक, समाज-सुधारक व देशभक्त थे जिनका जीवन चरित अत्यंत प्रेरणास्पद है ।
  • महर्षि स्वामी ने सबसे पहले 1876 में ‘स्वराज्य” का नारा दिया जिसे बाद में लोकमान्य तिलक ने आगे बढ़ाया था।
  • महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती ने वैदिक विचारधाराओं को पुनर्जीवित करने की दिशा में काम किया था।
  • इसके बाद, दार्शनिक और भारत के दूसरे राष्ट्रपति एस. राधाकृष्णन ने उन्हें “आधुनिक भारत के निर्माता” में से एक कहा, जैसा कि श्री अरबिंदो ने किया था।

महर्षि दयानंद सरस्वती की ने किया आर्य समाज की शुरुआत / Maharishi Dayanand Saraswati started Arya Samaj

  • स्वामी दयानन्द वेदों के प्रचार करने का कार्य-भार संभाला था और इस काम को पूरा करने के लिए लगभग 7 या 10 अप्रैल 1875 ई. को गुड़ी पड़वा के दिन ‘आर्य समाज” संस्था का स्थापना किया गया था।
  • आर्यसमाज के नियम और सिद्धांत प्राणिमात्र के कल्याण के लिए बनाया गया है। दुनिया का उपकार करना इस समाज का मुख्य उद्देश्य है, अर्थात् शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक उन्नति करना है।
  • दयानंद सरस्वती ने तत्कालीन समाज में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों तथा अन्धविश्वासों और रूढियों-बुराइयों को दूर करने के लिए, निर्भय होकर उन पर आक्रमण किया था।जिसके लिए वे ‘संन्यासी योद्धा” भी कहलाए थे।

महर्षि दयानंद सरस्वती जी के लेख / Articles of Maharishi Dayanand Saraswati

  • 1873 में ‘आर्योद्देश्यरत्नमाला” पुस्तक प्रकाशित हुआ जिसमें दयानंद सरस्वती जी ने सौ शब्दों की परिभाषा वर्णित जाता है जिसमे कई शब्द आम बोलचाल में आते हैं।
  • 1881 में स्वामी दयानन्द जी ने ‘गोकरुणानिधि” नामक पुस्तक प्रकाशित की जो कि गोरक्षा आन्दोलन को स्थापित करने में प्रमुख भूमिका निभाने का श्रेय भी लेती है।
  • लाला लाजपत राय जी ने कहा था की- स्वामी दयानन्द जी मेरे गुरु हैं उन्होंने हमे स्वतंत्रता पूर्वक विचार करना , बोलना और कर्त्तव्य का पालन करना सिखाया था।
  • स्वामी दयानन्द के प्रमुख अनुयायियों में लाला हंसराज ने 1886 में लाहौर में ‘दयानन्द एंग्लो वैदिक कॉलेज” का स्थापना करवाया तथा स्वामी श्रद्धानन्द ने 1901 में हरिद्वार के निकट कांगड़ी में गुरुकुल का स्थापना करवाया।
  • स्वामी दयानन्द सरस्वती ने कई धार्मिक व सामाजिक पुस्तकें अपनी जीवन काल में लिखे थे। प्रारम्भिक पुस्तकें संस्कृत में थीं, किन्तु बाद मे समय के साथ उन्होंने कई पुस्तकों को आर्यभाषा (हिन्दी) में भी लिखा, क्योंकि आर्यभाषा की पहुँच संस्कृत से अधिक थी। हिन्दी को दयानंद सरस्वती ने ‘आर्यभाषा” का नाम दिया था।
  • उत्तम लेखन के लिए आर्यभाषा का प्रयोग करने वाले स्वामी दयानन्द सरस्वती अग्रणी व प्रारम्भिक व्यक्ति थे। आज के समय मे भी इनके अनुयायी देश में शिक्षा आदि का महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।

महर्षि दयानंद सरस्वती जी की मृत्यु / Death of Maharishi Dayanand Saraswati

दयानंद सरस्वती की हत्या करने के अनेक प्रयास हुए परन्तु वह इन प्रयासों से हर बार बच गए थे इन्हे कुछ जगहों पर जहर भी दिया गया था लेकिन हठ योग के अपने नियमित अभ्यास के कारण वे इस तरह के सभी प्रयासों से बच गए। लेकिन 30 अक्टूबर 1883 दीपवली के दिन अजमेर-मेरवाड़ा , ब्रिटिश भारत (वर्तमान राजस्थान , भारत ) में इनके दूध के गिलास में कांच के छोटे-छोटे टुकड़े मिला दिए और परियाप्त उपचार न मिलने के कारण इनकी मृत्यु हो गयी।

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महर्षि दयानंद सरस्वती का जन्म कब हुआ था ?

12 फरवरी 1824

2023 में महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती कब मनाया जायेगा ?

15 फरवरी को

आर्य समाज किसने बनाया ?

महर्षि दयानंद सरस्वती

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