जहांगीर का इतिहास / History of Jahangir

history of jahangir in hindi

सम्राट अकबर के बाद मुगल सम्राज्य का चौथा शासक जहांगीर के बारे मे जहांगीर का इतिहास / History of Jahangir यहा आपको जानकारी मिलेगा।

जहांगीर का इतिहास / History of Jahangir परीक्षाओं में जहांगीर के बारे में बहुत सारे जरूरी प्रश्न पूछे जाते हैं। आप को आसान भाषा मे समझाने के लिए जहांगीर के बारे मे सरी जानकारियां यहा पर मिलगा।

मुगल साम्राज्य का चौथा शासक जहांगीर / Fourth Emperor of Mughal Ruler Jahangir


जहांगीर का जन्म कहा हुआ?
जहांगीर का जन्म 30 अगस्त 1569 ई मे फतेहपुर सिकरी मे हुआ था ये नगर सम्राट अकबर ने बसाया था।


जहांगीर का पूरा नाम
मिर्जा नूरुद्दीन बेग मुहम्मद खान सलीम जहांगीर नाम था।
अकबर ने जहांगीर का नाम सलीम सूफ़ी संत शेख सलीम चिश्ती के नाम पर रखा।


जहांगीर के भाई

जहांगीर के दो भाई थे मुराद मिर्ज़ा और दानियाल मिर्ज़ा


जहांगीर की माता का नाम

जहांगीर की माता का नाम मरियम उज़-ज़मानी था।


जहांगीर की पत्नियां


जहांगीर की 9 पत्नियां थी

नूर जहाँ

मभांवती बाई (शाह बेगम)

‌जगत गोसाई

‌साहिब जमाल

‌मलिका जहाँ

‌नूरुन्निसा बेगम

‌ख़ास महल

‌कर्मसी

सालिहा बानो बेगम (पादशाह बेगम)

जहांगीर के पुत्र

जहांगीर के 5 पुत्र थे

‌खुसरो मिर्ज़ा

‌परवेज मिर्ज़ा

‌ खुर्रम मिर्ज़ा

‌शहरवार मिर्ज़ा

‌जहन्दर मिर्ज़ा

जहांगीर का शासनकाल/ Reign of Jahangir

24 अक्टूबर 1605 ई मे अकबर के बाद सलीम ( जहांगीर) उत्तराधिकारी बना और नूरुद्दीन बेग मुहम्मद खान सलीम जहांगीर बादशाही गाज़ी की उपाधि धारण कर गद्दी पर बैठा।
जहांगीर ने आगा रज़ा के नेतृत्व मे आगरा मे एक चित्रणशाला बनवाया।
जहांगीर ने गियास बेग को शाही दीवान बनवाया और इतमाद-उद-दौला की उपाधि दि।

जहांगीर ने आत्मकाथा लिखी
जहांगीर ने तुजुक-ए- जहांगीरी नामक आत्मकाथा लिखना शुरु किया था लेकिन उसे मौतबिंद ख़ा ने पुरा किया था।

जहांगीर के दरवार के कलाकार / Artists of Jahangir Court

Court of Jahangir
  • ‌आगा रज़ा
  • ‌अबुल हसन
  • ‌मुहम्मद नासिर
  • ‌मुहम्मद मुराद
  • ‌उस्तद मंसूर
  • ‌विशनदास
  • मनोहर एवं गोवर्धन
  • ‌फहरुख बेग
  • ‌दौलत

जहांगीर द्वारा लड़े गये युद्ध / Battles fought by Jahangir

जहांगीर के शासक बनते हि बड़े बेटे खुसरो मिर्ज़ा ने 1606 ई मे जहांगीर के विरुद्ध विद्रोह कर दिया जिसके कारण दोनो सेना का युद्ध जालंधर के पास भैरावल मे हुआ।

इस युद्ध मे जहांगीर विजय हुआ और खुसरो मिर्जा को अंधा करवा कर कैद मे डाल दिया।

इस युद्ध मे शिखो के 5वे गुरु अर्जुन देव जी ने खुसरो की सहायता किया था इसलिये जहांगीर ने इन्हे फांसी पर लटकवा दिया था।

मेवाड़ के साथ युद्ध

1605 ई – 1615 ई मे जहांगीर और मेवाड़ के तत्कालीन राजा राणा अमर सिंह के बीच 18 बार युद्ध हुआ और तब जाकर संधि हुआ।

कंधार का युद्ध
1622 ई मे कंधार की लड़ाई मे जहांगीर के हाथ से कंधार राज्य निकल गया और शाह अब्बास ने कंधार पर कब्ज़ा कर लिया।


न्याय की जंजीर

जहांगीर को न्याय की जंजीर के लिए जाना जाता है । न्याय की जंजीर सोने से बना हुआ था । जो आगरे के किले के शाहबूर्ज और यमुना तट पर इस्थित पत्थर के ख़म्बे मे लगवाई गयी थी।


जहांगीर की पत्नी नूरजहाँ / Noorjahan wife of Jahangir

Noorjahan and Jahangir


मेहरून्निसा ( नूरजहाँ) ईरान के निवासी मिर्जा ग्यास वेग की पुत्री थी । जिनका विवाह अलीकुली वेग से हुआ जिसे जहांगीर ने एक शेर मरने की खुशी मे शेर अफगान की उपाधि दिया। 1607 मे शेर अफगान के मरने के बाद मेहरून्निसा को सलीमा बेगम ( अकबर की बिधवा) की सेवा मे लगा दिया गया था। जहांगीर ने पहली बार मेहरून्निसा को नवरोज के त्योहार पर देखा और उसकी सुंदरता से मंत्रमुघ हो गया ।

1611 मे जहांगीर ने मेहरून्निसा से विवाह कर लिया तथा नूरमहल और नूरजहाँ की उपाधि दिया। नूरजहाँ के सम्मान मे जहांगीर ने चांदी के सिक्के बनवाये।
नूरजहाँ की माँ अस्मत बेगम ने गुलाब से इत्र निकलने का तरीका निकला।
जहांगीर के मकबारा का निर्माण नूरजहाँ ने करवाया था।

जहांगीर के शासनकाल मे यूरोपीय यात्री

जहांगीर के शासन काल मे 4 यूरोपीय यात्री आये थे

  • ‌ कैप्टन हॉकिन्स
  • ‌सर टॉमस रो
  • ‌विलियम फिंच
  • ‌एदवर्ड टैरी


जहांगीर को बंदी बनाया
1626 ई मे झेलम नदी के तट पर जहांगीर,नूरजहाँ और उसके भाई आसफ ख़ा को महावत ख़ा ने बंदी बना लिया।


जहांगीर की मृत्यु
28 अक्टुबर 1627 ई को भीमवार नामक जगह पर जहांगीर की मृत्यु हो गयी। जहांगीर को शाहादारा मे रावी नदी के किनारे दफनाया गया।

जहांगीर को बंदी किसने बनाया?

1626 ई मे झेलम नदी के तट पर जहांगीर,नूरजहाँ और उसके भाई आसफ ख़ा को महावत ख़ा ने बंदी बना लिया

जहांगीर के कितने पुत्र थे?

जहांगीर के 5 पुत्र थे

जहांगीर का शाही दीवान कौन था?

जहांगीर ने गियास बेग को शाही दीवान बनाया और इतमाद – उद- दौला की उपाधि दिया।

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