Table Of Contents
- 1 डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जन्म / Birth of Dr. Bhimrao Ambedkar
- 1.1 डॉ. भीमराव अम्बेडकर का छुआ-छूत से संघर्ष / Dr. Bhimrao Ambedkar’s struggle with untouchability
- 1.2 डॉ. भीमराव अम्बेडकर की शिक्षा / Education of Dr. Bhimrao Ambedkar
- 1.3 डॉ. भीमराव अम्बेडकर की दूसरी शादी / Second marriage of Dr. Bhimrao Ambedkar
- 1.4 छुआछूत और जातिवाद के खिलाफ डॉ. भीमराव अम्बेडकर का मोर्चा / Dr. Bhimrao Ambedkar’s front against untouchability and casteism
- 1.5 डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा पार्टी का गठन / Formation of the party by Dr. Bhimrao Ambedkar
- 1.6 डॉ. भीमराव अम्बेडकर भारत के संविधान गठन के चेयरमैन / Dr. Bhimrao Ambedkar Chairman of the constitution making of India in Hindi
- 1.7 भीमराव आम्बेडकर जी की मृत्यु / Death of Dr. Bhimrao Ambedkar
- 1.8 आम्बेडकर जयंती का उत्सव / Celebration of Ambedkar Jayanti
आज हम आपको भारत के संविधान के पिता डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी / Father of the Constitution of India Dr. Bhimrao Ambedkar in Hindi के बारे में सभी जानकारिया देंगे और भारत के प्रति उनके जीवन का योगदान के बारे में बताएँगे।
डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जन्म / Birth of Dr. Bhimrao Ambedkar
- डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को इंदौर के पास महू के कस्बे में मध्य प्रदेश में हुआ था।
- वर्तमान मे इस जगह का नाम डॉ. अम्बेडकर नगर रखा गया है।
- डॉ. भीमराव अम्बेडकर रामजी मालोजी सकपाल की चौदहवीं और अंतिम संतान थे।
- डॉ. भीमराव अम्बेडकर के पूर्वजों ने लंबे समय तक अंग्रेजी ईस्ट इंडिया संगठन की भीड़ के लिए काम किया था, और उनके पिता ने महू छावनी में अंग्रेजी भारतीय सशस्त्र बल में सूबेदार के पद पर काम किया था।
- 1894 मे उनके पिता को रिटायरमेंट मिला और पुरा परिवार महाराष्ट्र के सतारा मे बस गया ।
- कुछ दिनों बाद अम्बेडकर की माता चल बसी जिसके बाद उनके पिता जी ने दूसरा विवाह कर लिया और बॉम्बे मे आकर रहने लगे।
- 1906 मे जब भीमराव 15 वर्ष के हुए तो 9 साल की रमाबाई से उनका बाल विवाह हो गया।
डॉ. भीमराव अम्बेडकर का छुआ-छूत से संघर्ष / Dr. Bhimrao Ambedkar’s struggle with untouchability
- छुआ छूत के बारे में अम्बेडकर जी ने बचपन से देखा था क्योकि क्योकि वह हिन्दू धर्म में मेहर जाति के थे, जिन्हें लोग नीचा समझते थे।
- ऊँची जाति के लोग इन्हें छूना भी पाप समझते थे जिसकी जिसकी वजह से अम्बेडकर जी को समाज में कई जगह भेदभाव का शिकार होना पड़ा।
- अम्बेडकर जी को आर्मी स्कूल में भी इस भेदभाव व निरादर का शिकार होना पड़ा जहाँ वे पढ़ा करते थे। उनकी जाति के बच्चों को क्लास के अंदर तक बैठने नहीं दिया जाता था।
- कोई शिक्षक उन पर ध्यान नहीं देता था यहाँ तक की उनको पानी तक छूने नहीं दिया जाता था और स्कूल का चपरासी उनको उपर से डालकर पानी देता था
- जिस दिन चपरासी नहीं आता था उस दिन उन लोगों को पानी तक नसीब नहीं होता था
डॉ. भीमराव अम्बेडकर की शिक्षा / Education of Dr. Bhimrao Ambedkar
- 1908 में अम्बेडकर जी ने 12वी की परीक्षा पास की
- अम्बेडकर जी को आगे की पढाई करने के लिए बॉम्बे के एल्फिनस्टोन कॉलेज में जाने का मौका मिला
- जहां उन्होंने अर्थशास्त्र और राजनीतिक विज्ञान में कला स्नातक (बी॰ए॰) प्राप्त की।
- भीमराव अम्बेडकर इस स्तर पर शिक्षा प्राप्त करने वाले अपने समुदाय से पहले व्यक्ति थे।
- अम्बेडकर जी पढाई में वे बहुत अच्छे और तेज दिमाग के थे, उन्होंने सारे एग्जाम अच्छे से पास करे थे, इसलिए उन्हें बरोदा के गायकवाड के राजा सहयाजी से 25 रूपए की स्कॉलरशिप हर महीने मिलने लगी.
- उन्होंने राजनीती विज्ञान व अर्थशास्त्र में 1912 में ग्रेजुएशन पूरा किया।
- उन्होंने अपने स्कॉलरशिप के पैसे को आगे की पढाई के लिए रखा और फिर 1913 में, 22 वर्ष की उम्र में संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए।
- संयुक्त राज्य अमेरिका में उन्हें सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय (बड़ौदा के गायकवाड़) द्वारा स्थापित एक योजना से न्यूयॉर्क नगर स्थित कोलंबिया विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर पढ़ाई के लिए तीन वर्ष के लिए 11.50 डॉलर हर महीने बड़ौदा राज्य की छात्रवृत्ति दी गयी ।
- जून 1915 में भीमराव ने अपनी कला स्नातकोत्तर (एम॰ए॰) परीक्षा पास की जिसमें अर्थशास्त्र प्रमुख विषय थी
- अमेरिका से लौटने के बाद बड़ौदा के राजा ने उन्हें अपने राज्य में रक्षा मंत्री का पद दे दिया लेकिन यहाँ भी छुआछूत की बीमारी ने भीमराव का पीछा नहीं छोड़ा।
- छुआछूत के वजह से बड़े पद में होते हुए भी उन्हें कई बार निरादर का सामना करना पड़ रहा था जिसके कारण उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी।
- बॉम्बे गवर्नर की मदद से भीमराव बॉम्बे के सिन्ड्रोम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स एंड इकोनोमिक्स में राजनैतिक अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बन गए।
- भीमराव अम्बेडकर आगे और पढ़ना चाहते थे इसलिए वे इस बार इंग्लैंड चले गए और इस बार उन्होंने अपने खर्चो का भार खुद उठाया था
- लन्दन युनिवर्सिटी ने उन्हें डीएससी के अवार्ड से सम्मानित किया गया फिर अम्बेडकर जी ने कुछ समय जर्मनी की बोन यूनीवर्सिटी में गुज़ारा
- बोन यूनीवर्सिटी में उन्होंने इकोनोमिक्स में अधिक अध्ययन किया और 8 जून 1927 को कोलंबिया यूनीवर्सिटी में उन्हें Doctrate की बड़ी उपाधि से सम्मानित किया गया।
डॉ. भीमराव अम्बेडकर की दूसरी शादी / Second marriage of Dr. Bhimrao Ambedkar
- भीमराव अम्बेडकर की पत्नी रमाबाई की लम्बी बीमारी के कारण 1935 उनकी म्रत्यु हो गई।
- 1940 में भारतीय संविधान का ड्राफ्ट पूरा करने के बाद भीमराव अम्बेडकर को बहुत सी बीमारियों ने घेर लिया।
- जिसके चलते उन्हें रात को नींद नहीं आती थी, पैरों में दर्द रहता था और डायबटीज भी बढ़ गई थी, जिसके वजह से उन्हें इन्सुलिन लेना पड़ता था।
- अपने इलाज के लिए भीमराव बॉम्बे आ गए जहाँ उनकी मुलाकात एक ब्राह्मण डॉक्टर शारदा कबीर से हुई जो नई जीवन साथी के रूप में मिली और उन्होंने दूसरी शादी 15 अप्रैल 1948 को दिल्ली में की।
- शारदा कबीर का नाम शादी के बाद सविता आम्बेडकर नाम पड़ गया जिन्हें ‘माई’ या ‘माइसाहेब’ भी कहा जाता था
छुआछूत और जातिवाद के खिलाफ डॉ. भीमराव अम्बेडकर का मोर्चा / Dr. Bhimrao Ambedkar’s front against untouchability and casteism
- भारत लौटने के बाद अम्बेडकर जी ने छुआछूत और जातिवाद को मिटाना जरुरी समझा जो किसी बीमारी से कम नहीं थी,आम्बेडकर जी ने कहा था “छुआछूत गुलामी से भी बदतर है।”
- ये देश को कई हिस्सों में तोड़ रही थी और इस छुआछूत और जातिवाद को देश से निकालना बहुत जरुरी हो गया था।
- छुआछूत और जातिवाद के खिलाफ अम्बेडकर जी ने मोर्चा छेड़ दिया। भीमराव अम्बेडकर जी ने कहा नीची जाति व जनजाति एवं दलित के लिए देश में अलग से एक चुनाव प्रणाली होनी चाहिए।
- नीची जाति व जनजाति एवं दलित को भी पूरा हक मिलना चाहिए कि वे देश के चुनाव में हिस्सा ले सके। भीमराव अम्बेडकर ने इनके आरक्षण की भी बात सामने रखी।
- अम्बेडकर जी देश के कई शहरो में गए और लोगों को समझाया कि जो पुरानी प्रथा प्रचलित है वो सामाजिक बुराई है उसे जड़ से उखाड़ कर फेंक देना चाहिए,बदल देनी चाहिए ।
- उन्होंने एक न्यूज़ पेपर ‘मूक्नायका’ (लीडर ऑफ़ साइलेंट) शुरू किया था
- एक बार एक रैली में भीमराव अम्बेडकर के भाषण को सुनने के बाद कोल्हापुर के शासक शाहूकर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया जिससे पुरे देश में बहुत हल्ला रहा और इस बात ने देश की राजनीती को एक नयी दिशा दे दी थी।
डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा पार्टी का गठन / Formation of the party by Dr. Bhimrao Ambedkar
- 1936 में भीमराव अम्बेडकर ने स्वतंत्र मजदूर पार्टी का गठन किया।
- 1937 के केन्द्रीय विधानसभा चुनाव में भीमराव अम्बेडकर की पार्टी को 15 सीट की जीत मिली जिसे भीमराव अम्बेडकर ने आल इंडिया शीडयूल कास्ट पार्टी में बदल दिया।
- ऑल इंडिया शेड्यूल्ड कास्ट्स फेडरेशन एक सामाजिक-राजनीतिक संगठन था जिसके साथ वे 1946 में संविधान सभा के चुनाव में खड़े हुए, लेकिन उनकी इस पार्टी का चुनाव में बहुत ही ख़राब प्रदर्शन रहा।
- कांग्रेस और महात्मा गाँधी ने अछूते लोगों को हरिजन नाम दिया जिससे वजह से सब लोग उन्हें हरिजन ही बोलने लगे।
- लेकिन भीमराव अम्बेडकर को ये बात बिल्कुल पसंद नहीं आया और उन्होंने उस बात का विरोध किया।
- भीमराव अम्बेडकर का कहना था की अछूते लोग भी हमारे समाज का एक हिस्सा है वे लोग भी बाकि लोगों की तरह नार्मल इन्सान है।
- 1942 से 1946 के दौरान अम्बेडकर जी को रक्षा सलाहकार कमिटी में रखा गया और वाइसराय एग्जीक्यूटिव कौसिल में उन्हें लेबर का मंत्री बनाया गया।
- भीमराव अम्बेडकर आजाद भारत के पहले लॉ मंत्री बने और दलित होने के बावजूद उनका मंत्री बनना उनके के लिए बहुत बड़ी उपाधि थी।
डॉ. भीमराव अम्बेडकर भारत के संविधान गठन के चेयरमैन / Dr. Bhimrao Ambedkar Chairman of the constitution making of India in Hindi
- गाँधी व कांग्रेस की कटु आलोचना के बावजूद आम्बेडकर की प्रतिष्ठा एक स्कॉलर व प्रख्यात विदिबेत्ता की थी
- जिसके कारण जब, 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता मिला तो कांग्रेस के नेतृत्व वाली नई सरकार अस्तित्व में आई और उसने आम्बेडकर को देश के पहले क़ानून एवं न्याय मंत्री के रूप में सेवा करने के लिए आमंत्रित किया गया।
- भीमराव अम्बेडकर जी को भारत के संविधान गठन कमिटी का चेयरमैन बनाया गया।
- अम्बेडकर जी ने देश की भिन्न भिन्न जातियों को एक दुसरे से जोड़ने के लिए एक पुलिया का काम किया, वे सबके सामान अधिकार की बात पर जोर देते थे.
- भीमराव अम्बेडकर जी के अनुसार अगर देश की अलग अलग जातिया एक दुसरे से अपनी लड़ाई ख़त्म नहीं करेंगी तो देश कभी भी एकजुट नहीं हो सकता।
- भीमराव आम्बेडकर एक बुद्धिमान संविधान विशेषज्ञ थे उन्होंने लगभग 60-62 देशों के संविधानों का अध्ययन किया था।
- भीमराव आम्बेडकर जी को “भारत के संविधान का पिता” के रूप में जाना जाता है।
भीमराव आम्बेडकर जी की मृत्यु / Death of Dr. Bhimrao Ambedkar
1954-55 के समय भीमराव अम्बेडकर जी अपनी सेहत से बहुत परेशान थे, आँखों में धुधलापन, डायबटीज और अन्य बहुत सी बीमारियों ने घेर लिया था.
6 दिसम्बर 1956 को अपने घर दिल्ली में भीमराव अम्बेडकर जी चल बसे उन्होंने अपने जीवन में बौध्य धर्म को मान लिया था, इसलिए उनका अंतिम संस्कार बौध्य धर्म की रीती रिवाजो के अनुसार किया गया था
आम्बेडकर जयंती का उत्सव / Celebration of Ambedkar Jayanti
- भीमराव आम्बेडकर के जन्मदिन पर हर साल 14 अप्रैल को आम्बेडकर जयंती के रूप में बडे उत्सव के साथ पुरे भारत में मनाया जाता हैं।
- महाराष्ट्र के बौद्धों के लिए यह सबसे बडा त्यौहार माना जाता हैं और महाराष्ट्र सरकार द्वारा आम्बेडकर जयंती को ज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। क्योंकि डॉ॰ भीमराव आम्बेडकर को “ज्ञान का प्रतिक” (सिम्बोल ऑफ नॉलेज) माना जाता हैं।
- इस दिन को पूरे भारत में राष्ट्रीय अवकास घोषित किया गया हैं।
- डॉ॰ भीमराव आम्बेडकर की पहली जयंती सदाशिव रणपिसे द्वारा 14 अप्रेल 1928 को पुणे में मनाई गई थी। रणपिसे आम्बेडकर के बहुत बड़े अनुयायी थे।
- रणपिसे ने आम्बेडकर जयंती की प्रथा शुरू की और इस अवसरों पर बाबासाहेब की प्रतिमा हाथी के अम्बारी में रखकर रथ से, तथा उंट के उपर कई रैलीयां निकाली थी।
- नयी दिल्ली, संसद में उनकी मूर्ति पर हर साल भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री (दूसरे राजनैतिक पार्टियों के नेताओं सहित) द्वारा डॉ॰ भीमराव आम्बेडकर को सम्माननीय श्रद्धांजलि दिया करते हैं।
- बौद्ध, दलित एवं अन्य आम्बेडकरवादि लोग अपने घर में उनकी मूर्ति या तस्वीर के सामने रख कर भगवान की तरह उनकी पूजा और अभिवादन करते हैं।
- आम्बेडकर जयंती के दिन उनकी प्रतिमा को सामने रखकर लोग परेड करते हैं और ढोल बजाकर नृत्य का भी आनन्द लेते हैं।
- भीमराव आम्बेडकर की महानता से भारत के अलावा भी विश्व के 65 से अधिक देशों में आम्बेडकर जयंती मनाई जाती हैं।
- 2016 में आम्बेडकर की 125वीं जयंती 102 देशों में और संयुक्त राष्ट्र संघ में भी मनाई गई थी। संयुक्त राष्ट्र संघ ने डॉ॰ भीमराव आम्बेडकर को ‘विश्व का प्रणेता’ कहां था और संयुक्त राष्ट्र 2016 से हर साल अम्बेडकर जयंती मना रहा है।
- भीमराव आम्बेडकर के सम्मान में भारतीय संविधान दिवस (राष्ट्रीय कानून दिवस) 26 नवम्बर को मनाया जाता हैं।
- आम्बेडकर को नीला रंग अति प्रिय था क्योंकि वह “समानता” का प्रतिक हैं। और नीला, आकाश का रंग हैं जोकि उसकी व्यापकता को दर्शाता हैं।
- आम्बेडकर जी का भी यही सोच था और निजी जीवन में भी वह इसका नीले रंग का खास इस्तेमाल करते थे।
- नीला रंग आम्बेडकर का एक प्रतिक हैं। आपने बाबासाहब की प्रतिमा हमेशा नीले रंग के कोट में देखी होगी।
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आम्बेडकर जयंती कब मनाया जाता है ?
भीमराव आम्बेडकर के जन्मदिन पर हर साल 14 अप्रैल को आम्बेडकर जयंती के रूप में बडे उत्सव के साथ पुरे भारत में मनाया जाता हैं।
डॉ. भीमराव आम्बेडकर को कौन सा रंग पसंद था ?
आम्बेडकर जी को नीला रंग अति प्रिय था क्योंकि वह “समानता” का प्रतिक हैं। और नीला, आकाश का रंग हैं जोकि उसकी व्यापकता को दर्शाता हैं।
भारतीय संविधान दिवस किसके सम्मान में और कब मनाया जाता है ?
डॉ. भीमराव आम्बेडकर के सम्मान में भारतीय संविधान दिवस (राष्ट्रीय कानून दिवस) 26 नवम्बर को मनाया जाता हैं।