Table Of Contents
- 1 Reasion Behind Revolt Of 1857 | 1857 की क्रांति के कारण
- 1.1 मंगल पाण्डेय
- 1.2 Reasons for the failure of the Revolt of 1857 | 1857 के विद्रोह की असफलता के कारण
- 1.3 Other Names For The Revolt Of 1857 |1857 का विद्रोह के अन्य नाम
- 1.4 Books Related Revolt Of 1857 And Their Writers | 1857 के विद्रोह से सम्बंधित पुस्तकें और उनके लेखक
- 1.5 रानी लक्ष्मी बाई के बचपन का क्या नाम था?
- 1.6 1857 के विद्रोह का प्रतीक क्या था?
- 1.7 1857 का विद्रोह कब तक चला?
1857 के विद्रोह के का कारण क्रांति की शुरुआत विद्रोह की असफलता के कारण विद्रोह से संबंधित पुस्तकें विद्रोह को दबाने वाले अंग्रेज अधिकारी 1857 के महान विद्रोह के बाद हुए बदलाव Reasion Behind 1857 Revolt Why Revolt Unsuccessful Books Related Revolt Of 1857 Major Changes After Revolt
हम सब ने इतिहास के पन्नों में क्रांति शब्द कहीं ना कहीं जरूर देखा तो आइए जानते है क्रांति कहते किसे है,
जब भी किसी व्यवस्था या प्रशासन में कोई बहुत बड़ा परिवर्तन आता है तो उसे क्रांति कहते हैं।
10 मई 1857 को मेरठ के सैनिकों ने अंग्रेजी सरकार के खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया।1857 में हुए इस स्वाधीनता संग्राम का प्रतीक कमल का फूल और रोटी था।
रोटी और कमल के फूल को अलग-अलग जगहों पर भेजा जाना 1857 के विद्रोह सचित योजना का परिणाम था।
12 मई को सैनिकों ने दिल्ली पर अधिकार कर के अंतिम मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर को हिंदुस्तान का बादशाह घोषित कर दिया, किंतु 20 सितंबर 1857 को अंग्रेज बहादुरशाह जफर को बंदी बनाकर बर्मा (म्यांमार) की राजधानी रंगून ले गए सन 1862 में इनकी मृत्यु हो गई।
रंगून में ही बहादुर शाह जफर की समाधि है
1857 का महान विद्रोह ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ एक बहुत बड़ा परंतु असफल आंदोलन था जिसने ब्रिटिश राज को हिला कर रख दिया यह आंदोलन लगभग 1 वर्षों से ज्यादा समय तक चला लेकिन अंत में अंग्रेज इसे दबाने में सफल रहे।
Reasion Behind Revolt Of 1857 | 1857 की क्रांति के कारण
Political Reasons | राजनीतिक कारण
राजनीतिक कारणों की बात करें तो अंग्रेजों द्वारा बहुत बड़ी संख्या में भारत के शासकों और उनसे जुड़े अधिकारियों को हटाया गया जिसके कारण अन्य लोगो में भी अपने भविष्य के प्रति चिंताएं थी ।
झांसी की रानी, रानी लक्ष्मीबाई के दत्तक पुत्र को झांसी के सिंहासन पर बैठने से रोका गया।
अंग्रेजों द्वारा विस्तार माध्य नीति अपनाते हुए सातारा, नागपुर, झांसी और कई राज्यों पर कब्जा करना।
Social And Religion Issue | सामाजिक और धार्मिक मुद्दा
- ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अन्य राज्यों में अपने विस्तार के साथ साथ भारतीयों पर अत्याचार करना प्रारंभ कर दिया।भारतीयों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार किया जाने लगा।
- भारत में पश्चिमी सभ्यता तेजी से फैल रही थी जिससे भारत के लोग काफी परेशान थे अंग्रेजों का रहन-सहन उनके आविष्कारों, उद्योग, उनके पहनावे, खानपान का गहरा असर भारतीय समाज और उनकी मान्यताओं पर पड़ रहा था जिससे यहां के लोगों में भारी असंतोष था।
- जो भारतीय अपना धर्म परिवर्तन करके ईसाई धर्म अपना लेते थे उन्हें प्रमोशन दे दिया जाता था।
- जो भारतीय अपना धर्म परिवर्तन नहीं करते थे उन्हें हर प्रकार से अपमानित किया जाता था इससे भारतीयों में यह डर फैल गया कि अंग्रेज उनके धर्म को बदलकर ईसाई धर्म में परिवर्तन कर देंगे।
- अंग्रेजों द्वारा कन्या भ्रूण हत्या और सती प्रथा जैसे आडम्बर को समाप्त करना और विधवा पुनर्विवाह को मान्यता देना भारतीय अपने रीति-रिवाजों के लिए खतरा मानने लगे।
- पश्चिमी सभ्यताओं का असर भारतीय शिक्षा पर भी पड़ा जिससे हिंदू और मुस्लिम अपनी शिक्षा व्यवस्था को लेकर असुरक्षित महसूस करने लगे।
- अंग्रेजों द्वारा किसानों पर भारी भरकम लगान वसूला जाता था ना चुका पाने की स्थिति में उनके साथ बर्बरता की जाती थी जिससे किसान बहुत परेशान थे।
- अंग्रेजी सेना में 87% सैनिक भारतीय थे जिनमें अधिकतर किसान परिवारों से आते थे इसलिए किसानों का असंतोष जल्दी ही सेना में फैल गया।
- जब इंग्लैंड की वस्तुएं भारत आने लगी उसके बाद भारत कपड़ा उद्योग बर्बाद हो गया, भारत की हाथ से निर्मित वस्तुओं को इंग्लैंड में मशीनों से बनाई वस्तुओं की प्रतिस्पर्धा होने लगी।
Soldier Unsatisfied | सैनिक असंतोष
- 1857 का महान विद्रोह सैनिकों के कारण ही हुआ।
- सेना में भेदभाव जैसे एक ब्रिटिश सैनिक है और एक भारतीए सैनिक दोनों एक ही पद पर कार्य करते हैं फिर भी ब्रिटिश सैनिक को ज्यादा वेतन दिया जाता था और भारतीय सैनिक को कम वेतन दिया जाता था।
- ब्रिटिश सेना ने 1856 में एक नया कानून बनाया जिससे ब्रिटिश सेना में भर्ती होने वाले सैनिक को जरूरत पड़ने पर समुंदर पार भी भेजा जा सकता हैं।
- सैनिकों के बीच यह बात आज तरह फैल चुकी थी नई ईनफील्ड राइफल में लगने वाले कारतूस पर सूअर और गाय की चर्बी लगी हुई है इस कारतूस को प्रयोग करने से पहले इसे अपने दांतो से खोलना पड़ता था जिससे हिंदू और मुसलमान दोनों ही धर्मों का पालन करने वाले सिपाहियों ने इसे प्रयोग करने से साफ मना कर दिया।
- इस विवाद को बढ़ता देख कर अंग्रेज सेना ने कारतूस के प्रयोग करने का आदेश वापस ले लिया परंतु वापस लिए जाने तक इसके कारण कई जगह हिंसा फैल चुकी थी।
- इस विवादित कारतूस का प्रयोग करने से इनकार करने के कारण मेरठ में 9 मई 1857 को 85 सैनिकों को 10 वर्ष की सजा दी गई।
मंगल पाण्डेय
गाय और सुअर की चर्बी से बने कारतूस के विरोध में बैरकपुर छावनी का ब्राह्मण सैनिक बलिया निवासी मंगल पांडे ने 29 मार्च 1857 को अपने अंग्रेज अधिकारी बाग की गोली मारकर हत्या कर दी और मेजर सार्जेंट ह्यूरसन को गोली मार दी । मंगल पांडे की बटालियन 34 NI को भंग कर दिया। गया। 8 अप्रैल 1857 को मंगल पांडे को फांसी दे दी गई।
Places Of Revolt Of 1857 | 1857 के विद्रोह के स्थान
यह विद्रोह मेरठ से शुरू हुआ बाद में यह बिहार के पटना से लेकर राजस्थान तक फैला।
विद्रोह का स्थान | Place Of Rebellion | नेतृत्व कर्ता | Leader | विद्रोह को दबाने वाले अंग्रेज अधिकारी | British Officers |
---|---|---|
दिल्ली | बहादुरशाह ज़फ़र, जफर वक्त खां | जान निकलसन, हडसन |
कानपुर | नाना साहब, तात्या टोपे | सर कैंपबेल |
लखनऊ | बेगम हजरत महल | कोलिन कम्पबेल |
झांसी | महारानी लक्ष्मी बाई, तात्या टोपे | ह्यूरोज |
फतेहपुर | अजीमुल्लाह | जनरल रेनार्ड |
बरेली | खान बहादुर खां | कैंपबेल |
इलाहबाद और बनारस | लियाकत अली | कर्नल नील |
फैजाबाद | मौलवी अहमद अल्ला | जनरल रेनार्ड |
जगदीशपुर | कुंवर सिंह | विलियम टेलर और मेजर विंसेट आयर |
Reasons for the failure of the Revolt of 1857 | 1857 के विद्रोह की असफलता के कारण
रानी लक्ष्मीबाई तथा तात्या टोपे मध्य प्रदेश ग्वालियर के किले पर अपना झंडा लहरा दिया था किंतु ग्वालियर का राजा महाराज सिंधिया अंग्रेजों से जा मिला।
17 जून 1818 को लक्ष्मी बाई अंग्रेजों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुई इसी समय अंग्रेज अफसर ह्यूरोज ने कहा
“यह सोई हुई महिला सभी भारतीय क्रांतिकारियों में एकमात्र मर्द है।”
1857 के विद्रोह में पढ़े-लिखे वर्ग, भारतीय शासक, और व्यापारियों ने भाग नहीं लिया था।
यह विद्रोह दक्षिण भारत तक नहीं पहुंच पाया था।
भारतीय सैनिक अंग्रेजी सेना की अपेक्षा दुर्बल साबित हुए भारतीय सेना में ठोस योजना तथा स्पष्ट लक्ष्य का भाव था और कुशल नेतृत्व की भी कमी थी।
कहते हैं कि जब तक अपना धोखा ना दे तब तक बाहर वाले कुछ नहीं कर सकते यही बात इस विद्रोह में भी साबित हुई बंगाल के मध्यमवर्गीय, अमीर व्यापारियों और जमीदारों ने इस विद्रोह को दबाने में अंग्रेजों का साथ दिया।
बहादुर शाह द्वितीय की पत्नी जीनत महल ने भी इस विद्रोह में अंग्रेजों का साथ दिया था।
तात्या टोपे के मित्र मानसिंह ने जब तात्या टोपे सो रहे थे तो अंग्रेजों के साथ मिलकर उन्हें बंदी बना लिया और 18 अप्रैल 1859 को तात्या टोपे को फांसी दे दी गई।
Result of the Revolt of 1857 | 1857 विद्रोह का परिणाम
- इस महान विद्रोह के बाद ब्रिटिश सरकार ने भारत की कमान ईस्ट इंडिया कंपनी से अपने हाथ में ले ली।
- भारतीय अपने धर्म को लेकर कुछ बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं यह बात अंग्रेजों को समझ आ चुकी थी इसलिए अंग्रेजों ने यह वादा किया कि वह भारतीयों के धार्मिक एवं रीति-रिवाजों, परंपराओं का सम्मान करेंगे और उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं करेंगे।
- अंग्रेजों ने भारत के राज्य उनके शासकों और अधिकारियों को भी मान्यता दी।
- अपनी राज्य को अपने दत्तक पुत्रों को देने पर अंग्रेज सरकार कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी।
- क्योंकि ब्रिटिश इंडिया में 87% भारतीय सैनिक थे अंग्रेज सरकार इस विद्रोह के बाद भारतीय सैनिकों का अनुपात कम करने की योजना बनाने लगी बंगाल की सेना को कमजोर कर किया गया और शस्त्रागार की निगरानी ब्रिटिश सैनिकों के हाथ में ही रही।
Other Names For The Revolt Of 1857 |1857 का विद्रोह के अन्य नाम
सर जान लारेंस और सिले | सैनिक विद्रोह |
डी.वी. सावरकर | एक सुनियोजित राष्ट्रीय स्वतंत्रा संग्राम |
जिम आउट ड्रम और डब्लू ट्रेलर | अंग्रेजों के विरुद्ध हिंदू एवं मुसलमानों का षड्यंत्र |
एस. एन. सेन | स्वतंत्रता संग्राम |
टी. आर. होम्स | बर्बरता तथा सभ्यता के बीच युद्ध |
आर. सी. मजूमदार | न तो राष्ट्रीय न ही स्वतंत्रता संग्राम |
एल. ई. आर. रीज | धर्मांधों और ईसाइयों के विरुद्ध युद्ध |
बेंजामिन डीजरायली | एक राष्ट्रीय विद्रोह |
Books Related Revolt Of 1857 And Their Writers | 1857 के विद्रोह से सम्बंधित पुस्तकें और उनके लेखक
- वी डी सावरकर ने फर्स्ट वॉर ऑफ इंडियन इंडिपेंडेंस नाम की पुस्तक लिखी।
- अशोक मेहता ने द ग्रेट रिबेलीयन नामक पुस्तक लिखी।
- कमल आजाद ने 1857 लिखी।
- पीसी जोशी ने रिबेलीयन 1857 पुस्तक लिखी।
- मौलाना अबुल ने इंडियन म्युटीनी 1857 लिखी।
Other Points | अन्य बिंदु
- 1857 के विद्रोह के समय भारत का गवर्नर जनरल लॉर्ड कैनिंग था।
- बिहार के जगदीशपुर में इस विद्रोह का नेतृत्व कोण सिंह ने किया उन्हें बिहार का सिंह कहा गया।
- नाना साहब अंत में नेपाल चले गए।
- मौलवी अहमदुल्लाह ने 1857 के विद्रोह में अंग्रेजों के विरुद्ध जिहाद का नारा दिया था।
- वी डी सावरकर ने 1857 के विद्रोह को स्वतंत्रता संग्राम कहा था।
- बेगम हजरत भी अंत में नेपाल की तरफ चली गई।
- उर्दू के मशहूर शायर मिर्जा गालिब ने 1857 के इस महान विद्रोह को देखा था।
- अंग्रेज अधिकारी हडसन ने बहादुर शाह के पुत्र जीवन बख्त को छोड़कर उनके सभी पुत्रों को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।
KVS 2022 की आने वाली वैकेंसी और उस में होने वाले बदलाव
रानी लक्ष्मी बाई के बचपन का क्या नाम था?
लक्ष्मी बाई के बचपन का नाम मणिकर्णिका था जिन्हें प्यार से सभी मनु बुलाते थे
1857 के विद्रोह का प्रतीक क्या था?
कमल का फूल और रोटी विद्रोह के प्रतीक थे।
1857 का विद्रोह कब तक चला?
1857 का महान विद्रोह लगभग 1 वर्ष तक चला।