Feudalism | सामंतवाद

Rise of Feudalism

सामंतवाद क्या है सामंतवाद का उदय भारत में सामंतवाद सामंतवादी शासन व्यवस्था सामंतवाद का पतन सामंतवाद का इतिहास What is Feudalism Rise of Feudalism Feudalism in India Fall of Feudalism History of Feudalism

Rise of Feudalism

सामंतवाद का उदय मध्यकाल में यूरोप में हुआ था यह एक प्रकार की शासन व्यवस्था थी।
इस शासन व्यवस्था में राजा के अधिकारी के रूप में सामंतों की नियुक्ति की जाती थी। सामंत उस समय जमीदारों की भूमिका में होते थे राजा अपने अधिकार में आने वाली सभी भूमि इन सामंतों में बांट देता और यह सामंत अपने अधिकार में आने भूमि को अपनी निजी संपत्ति की तरह उपयोग करते थे इसके बदले वे राजा को जरूरत पड़ने पर सैन्य सहायता और आर्थिक सहायता देते थे।
सामंत इन जमीनों पर कृषि करके मुनाफा कमाते थे।


इस शासन व्यवस्था में किसान, मजदूरों को कोई अधिकार प्राप्त नहीं था वे अपनी ही भूमि पर मजदूरी करने के लिए मजबूर थे।
इस तरह से यह शासन व्यवस्था हमारे समाज को दो भागों में बांट रही थी
शोषण करने वाला
शोषित होने वाला
समय के साथ यह सामंत स्वार्थी होते गए और मजदूर गरीबों पर और अत्याचार करने लगे इसलिए यह व्यवस्था डगमगाने लगी और समय के साथ इसका अंत हो गया।

Feudalism In India | भारत में सामंतवाद

10 वीं शताब्दी तक भारत में बहुत से बदलाव हुए अब यहां कुछ लोगों की शक्ति बहुत बढ़ती जा रही थी इन्हें सामंत, राजपूत आदि नामों से जाना जाता था। इन वर्गों में कई प्रकार के लोग थे इनमें कुछ अधिकारी ऐसे थे जिन्हें वेतन की जगह गांव दे दिए जाते थे जिनसे वह कर इकट्ठा करते थे कुछ ऐसे हारे हुए राजा थे जो अपने कुछ क्षेत्रों को अपने अधिकार में लिए हुए थे इनमें से कुछ ऐसे बहादुर सैनिक थे जो अपने कुछ साथियों की वजह से किसी एक विशेष क्षेत्र में अपना अधिकार किए हुए थे।
भारत में सामंतवाद सोलवीं शताब्दी तक रहा। भारत में सामंतवाद की शुरुआत करने में गुप्त और कुषाण वंश का अहम योगदान रहा।

Features Of Feudalism | सामंतवाद की विशेषताएं

इस शासन का सर्वे सर्वा राजा होता था जो अपनी पूरे राज्य को सामंतों के बीच बांटा था और सामंत कृषि करके राजा को कर देते थे।
युद्ध किसी अन्य परिस्थिति विषम परिस्थिति में राजा को सैनिक भी देते थे यह अपने क्षेत्र में कुछ भी करने को स्वतंत्र थे।
इस शासन प्रणाली ने समाज को दो टुकड़ों में विभक्त कर दिया।
वैसे तो सामंतवाद का उदय समाज में फैली अराजकता और असुरक्षा की की स्थिति के कारण हुआ था परंतु समय के साथ सामंतवाद में स्वयं ही अराजकता और उत्पीड़न का कारण बना।

Reasons For Decline Of Feudalism | समंतवाद के पतन के कारण

  • वैसे तो सामंतवाद का पतन तेरहवीं शताब्दी से ही आरंभ हो गया था सामंतवाद में सबको समान अधिकार नहीं था।
  • सामंतों के द्वारा किसानों पर किए जा रहे अत्याचार और युद्ध के कारण भी कृषि में उन्हें काफी मुनाफा हो रहा था समय के साथ वैज्ञानिक आविष्कारों द्वारा कृषि उत्पादन में भारी बढ़ोतरी हुई जिससे राजा को भी अधिक कर प्राप्त हुआ राजा अपनी सेना बढ़ाने में लग गए राजा को सामंतों की सेना की आवश्यकता खत्म होने लगी इस तरह राजा पोएम सामंतों की आवश्यकता कम महसूस होने लगी।
  • समय के साथ बारूद का आविष्कार हुआ जिससे राजा की शक्ति में अपार वृद्धि हुई सामंतों की शक्ति के कारण घुड़सवार सैनिक थे परंतु बारूद के आविष्कार के बाद तो और बंदूकों का निर्माण होने लगा जिसे सामंतों के सैनिकों की शक्ति बहुत दुर्बल सी हो गई
  • तुर्की से शुरू हुए ऑटोमन एंपायर द्वारा ईसाइयों के पवित्र तीर्थ स्थल जेरूसलम पर अपना अधिकार करने के बाद ईसाइयों द्वारा इसे मुक्त कराने के लिए कई सालों तक युद्ध हुए जिसमें बहुत सारे सामंत मारे गए हैं इसके कारण पश्चिमी देशों में सामंतवाद की शक्ति बहुत प्रभावित हुई।
  • कुछ सामंत अपनी महत्वाकांक्षाओं के कारण आपस में ही लड़ते रहते थे इन युद्धों के कारण सामंतों के सैनिकों की शक्ति बहुत हद तक कमजोर हो गई जिससे सामंत बहुत दुर्बल हो गए ।
  • यूरोप वासी एशिया से व्यापार करने लगे व्यापार के दौरान उन्हें एशिया की नई नई चीजों के बारे में जानकारी मिली और व्यापारिक संबंध स्थापित होने के बाद उन्हें बहुत मुनाफा होने लगा वह यूरेव में एक नई शक्ति के रूप में उभरे वे काफी धनी थे व्यापार के दौरान सामंतो द्वारा उनके सामान को लूट लिया जाता था जिससे वे सामंतवादी व्यवस्था के शत्रु थे बाद में इन धनी व्यापारी वर्ग ने सामंत वादी व्यवस्था के विनाश में राजाओं का साथ दिया।
  • व्यापार में विकास के बाद कई महत्वपूर्ण व्यापारिक नगरों का निर्माण हुआ जहां मजदूरों की भारी संख्या में आवश्यकता थी सामंतों के खेतों में काम करने वाले मजदूर किसान धीरे-धीरे इन नगरों में बसने लगे और सामंतो के पास अब किसानों और मजदूरों की संख्या घटने लगी अब किसान सामंतो पर निर्भर नहीं थे।
  • मुद्रा का प्रचलन बढ़ने के बाद सामंतों को जब भी मुद्रा की आवश्यकता होती वह व्यापारियों से मुद्रा की मांग करते हैं और बदले में उन्हें दास की सेवाएं देते जिससे सामंतों का महत्व बहुत कम हो गया।
  • सामंतो द्वारा किसानों और मजदूरों पर अमानवीय अत्याचार इस शासन व्यवस्था में शामिल था कई बार यह किसान इसके विरोध में खड़े हुए। यूरोप में एक बहुत भयानक महामारी के कारण इस समय तक यूरोप की आधी आबादी खत्म हो चुकी थी जिससे कृषि काफी प्रभावित हुई।
  • सभी व्यापारी अपने अपने देश की गरिमा को बनाए रखना चाहते थे और वह यह नहीं चाहते थे कि किसी अन्य देश से आए हुए व्यापारी उन पर राज करें जिससे व्यापारियों और इन सामंतों के बीच संघर्ष शुरू हो गया।

Akbar Ka Shasan Kal

जनसंख्या वृद्धि

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top
Join WhatsApp Group