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अगर आप किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो आपने इतिहास में मौर्य साम्राज्य के बारे में अवश्य पड़ा होगा वैसे तो मौर्य साम्राज्य का इतिहास बहुत बड़ा है परंतु इस पोस्ट Gupta samrajya in hindi में हम परीक्षा की दृष्टि महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करेंगे।
गुप्त वंश का उदय चौथी शताब्दी में उत्तर भारत में हुआ था किस राजवंश ने लगभग 300 वर्षों तक शासन किया इनके शासनकाल में विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति हुई इस राजवंश के संस्थापक श्री गुप्त थे।
इस राजवंश में श्री गुप्त, घटोत्कच, चंद्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त, रामगुप्त, चंद्रगुप्त द्वितीय, और स्कंदगुप्त जैसे कुशल शासकों का शासन रहा ।
इस राजवंश के तीन प्रमुख शासक चंद्रगुप्त प्रथम समुद्रगुप्त और चंद्रगुप्त द्वितीय हैं।
चंद्रगुप्त द्वितीय को विक्रमादित्य के नाम से भी जानते हैं।
प्रशस्ति और उनका चरित्र
प्रशस्ति लेखन का विकास गुप्त काल में हुआ प्रकार का होता है जिसमे राजवंश, शासन और राजा की प्रशंसा की जाती थी इस प्रकार की प्रस्तुतियों में राजाओं की उपलब्धियां साथ-साथ उनकी महानता के बारे में लिखा जाता था।
वत्सभटी, वासुल और हरीसेन प्रमुख प्रशस्ति लेखक थे
इनके द्वारा लिखी गई प्रक्रिया किस राजवंश गुप्तकाल इतिहास की जानकारी का महत्वपूर्ण स्रोत है।
इसी तरह बाणभट्ट द्वारा लिखित हर्ष चरित्र और कादंबरी में हर्षवर्धन काल के इतिहास की महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है
रामपाल चरित्र में पाल शासक रामपाल की उपलब्धियों क्रियाकलापों उस समय के बंगाल की जानकारी मिलती है।
इसी प्रकार चालुक्य वंश के राजा विक्रमादित्य के बारे में विक्रमा देव चरित्र में लिखा गया है।
श्री गुप्त
- श्री गुप्त ने ही गुप्त वंश की स्थापना की थी
- उनका पुत्र घटोत्कच था जिसने बाद में इनकी साम्राज्य को संभाला
- श्री गुप्त और घटोत्कच दोनों को ही महाराज कहा जाता था
- इतिहासकारों का मानना है कि गुप्त वंश के पहले राजा का नाम केवल गुप्त राजा बनने के बाद उसे श्री की उपाधि दी गई इस तरह से गुप्त वंश के प्रथम राजा का नाम श्री गुप्त पड़ा।
- ऐसा कहा जाता है कि यह संभव है कि कुछ वर्षों तक उसने मुरुण्डों के अधीन शासन किया किंतु बाद में स्वतंत्रता पूर्वक महाराज की उपाधि धारण की।
- इत्सिंग जो चीनी यात्री था इसके अभिलेखों में भी श्री गुप्त का उल्लेख मिलता है और वाराणसी में इसकी कुछ मुद्राएं भी प्राप्त हो चुकी हैं।
घटोत्कच
- कुछ इतिहासकारों का मानना है कि घटोत्कच गुप्त वंश का पहला शासक है जिसे आदि राज नाम से भी जाना जाता है
- स्कंद गुप्त के समय काल में सुप्रिया के लेख और प्रभावती गुप्त के पुणे ताम्रपत्र लिख के अनुसार गुप्त वंश का संस्थापक घटोत्कच ही था
- घटोत्कच ने भी महाराज की उपाधि धारण की थी
- किसके शासनकाल में हुई किसी महत्वपूर्ण घटना की भी कोई जानकारी नहीं मिलती।
चंद्रगुप्त प्रथम
- चंद्रगुप्त प्रथम गुप्त वंश का पहला महान शासक बना इसने महाराज की उपाधि धारण की
- चंद्रगुप्त प्रथम ने लिच्छवियो से वैवाहिक संबंध स्थापित किया और अपनी स्थिति को और मजबूत किया
- चंद्रगुप्त ने कुमार देवी जो लिच्छवि की राजकुमारी थी से विवाह किया
- विवाह की याद में चंद्रगुप्त ने चंद्रगुप्त कुमार देवी प्रकार के सोने के सिक्के जारी किए। इन सिक्कों पर एक तरफ चंद्रगुप्त और कुमार देवी का चित्र था तथा दूसरी तरफ लक्ष्मी मां का चित्र था
- राजकुमारी कुमार देवी से ही समुंद्र गुप्त का जन्म हुआ
- वर्तमान समय के बिहार और उत्तर प्रदेश के अधिकतर क्षेत्रों पर अपना अधिकार करने की बाद शासन के अंतिम दौर में चंद्रगुप्त ने संयास ले लिया और समुद्रगुप्त को अपना उत्तराधिकारी बनाया
- महरौली के लौह स्तंभ के शिलालेख पर चंद्रगुप्त की व्यापक विजय का उल्लेख मिलता है।
समुद्र गुप्त
- समुंद्र गुप्त गुप्त वंश का सबसे अधिक प्रभावशाली और पराक्रमी राजा था
- समुद्रगुप्त के राज्य अभिषेक से पहले ही उसके बड़े भाई कांच ने विद्रोह छोड़ दिया राजा बनना चाहता था और उसने अपने नाम के सिक्के भी डलवाए परंतु समुद्रगुप्त नहीं बड़ी कुशलता के साथ इस विद्रोह को दबा दिया
- हरि सिंह समुद्रगुप्त के दरबारी कवि थे इस कवि ने चंपू काव्य शैली में प्रयाग प्रशस्ति की रचना की थी
- गुप्त वंश की सर्वाधिक महत्वपूर्ण जानकारियां इन अभिलेखों से ही मिलती है
- इतिहासकार विस्मित ने समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन के नाम से पुकारा।
समुद्रगुप्त का विजय अभियान
- विजय अभियानों में सबसे पहले उत्तर भारत के 9 राजाओं को हराकर इनकी राज्यों को अपने राज्य में शामिल कर लिया
- इसके बाद उसने नौगढ़ राज्यों पर विजय प्राप्त की जिसमें अर्जुनायन, मालव, योधेय आदि मुख्य थे
- समुद्रगुप्त ने आठवीं के नाम के एक अन्य जाति के वह भी पराजित किया सम्राट अशोक के शासनकाल में भी इस जाति ने बहुत उत्पात मचाया था
- समुद्रगुप्त ने दक्कन के 12 राज्यों पर भी विजय प्राप्त की।
- उसने कई विदेशी शासकों को भी हराया।
- इलाहाबाद के स्तंभ लेख पर समुद्रगुप्त के शासनकाल का विस्तृत विवरण देखने को मिलता है।
- समुद्रगुप्त ने अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया।
चंद्रगुप्त द्वितीय
- चंद्रगुप्त द्वितीय समुद्रगुप्त का उत्तराधिकारी बना कुछ साहित्यकार विद्वान मानते हैं कि समुद्रगुप्त चंद्रगुप्त द्वितीय से पहले कुछ समय के लिए बड़े भाई राम गुप्त ने भी शासन किया।
- कुछ विद्वानों का मानना है कि जब राम गुप्त अपनी पत्नी ध्रुव देवी को एक शख्स शासक को सौंपने के लिए तैयार हो चुका था उसके बाद चंद्रगुप्त ने उस शक शासक के खेमे में घुसकर उसे मार डाला और अपने भाई राम गुप्त की भी हत्या कर दी और स्वयं ध्रुव देवी से शादी करके राजा बन गया
- चंद्रगुप्त द्वितीय का मूल नाम देव गुप्त, देवराज इसकी पुष्टि वाकाटक अभिलेखों और चंद्रगुप्त के सिक्कों से होती है।
- गुजरात के सड़कों पर विजय प्राप्ति के बाद चंद्रगुप्त द्वितीय ने विक्रमादित्य और सकारी जैसी उपाधि धारण की।
- चंद्रगुप्त द्वितीय के बारे में महरौली के लौह स्तंभ पर भी विस्तृत जानकारी मिलती है
- मालवा गुजरात और सौराष्ट्र के शासकों को हराकर इन क्षेत्रों को अपने अधिकार में ले लिया अपने राज्य के वाणिज्य व्यापार को और बड़ा सका।
- चंद्रगुप्त द्वितीय ने अपनी दूसरी राजधानी उज्जैनी को बनाई।
कुमार गुप्त प्रथम
- चंद्रगुप्त के बाद कुमार उसके राज्य को संभाला
- नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना का श्रेय कुमारगुप्त को ही जाता है
- गुप्त वंश के सभी शासकों में कुमारगुप्त के सर्वाधिक अभिलेख मिले हैं
- कुमारगुप्त के अब तक कुल 18 अभिलेख मिल चुके हैं
- कुमारगुप्त द्वारा जारी किए गए सिक्कों पर मोर की आकृति मिलती है
- अस्वमेघ यज्ञ का आयोजन किया था
- इसके प्रथम दबंग दरबारी कवि वत्सभत्ती थे वत्सभटी प्रसिद्ध मंदसौर प्रशस्ति की रचना की
- अभिलेखों में कुमारगुप्त के अन्य नाम जय श्री महेंद्र, अजीत महेंद्र, महेंद्र कुमार, आदि मिलते हैं
- कुमारगुप्त ने लगभग 40 वर्षों तक शासन किया।
स्कंद गुप्त
- स्कंद गुप्त के शासनकाल में हुडो का आक्रमण हुआ स्कंद गुप्त ने इनसे अपने राज्य की रक्षा करने में सफलता प्राप्त की
- जूनागढ़ अभिलेख में मलेक्षों पर स्कंद गुप्त की विजय का वर्णन मिलता है
- सारनाथ में उपस्थित बुध मूर्ति लेख भी स्कंद गुप्त से संबंधित है
- स्कंद गुप्त में एक अच्छे राजा के साथ-साथ एक अच्छे प्रशासक के भी सभी गुण विद्यमान थे
- सुदर्शन झील जो चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा निर्मित कराया गया था स्कंद गुप्त ने उसका भी पुनरुद्धार किया
- स्कंद गुप्त के कुछ अभिलेख
- जूनागढ़ अभिलेख, भीतरी स्तंभ अभिलेख, कहौम स्तंभलेख, इंदौर स्तंभ लेख, सुपिया का लेख, गढ़वा शिलालेख
गुप्त वंश की स्थापना किसने की थी?
गुप्त वंश की स्थापना श्री गुप्त ने की था।
गुप्त वंश का अंतिम शासक कौन था?
गुप्त वंश का अंतिम शासक विष्णु गुप्त था।
हुणो का आक्रमण किसके शासन काल में हुवा था?
स्कंद गुप्त के शासनकाल में हुडो का आक्रमण हुआ