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साम्यवाद क्या है साम्यवादी विचारधारा साम्यवाद की उत्पत्ति साम्यवाद के गुण और दोष What Is Communism Communist Ideology Origin Of Communism Merits And Demerits Of Communism
साम्यवाद का जनक कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स को माना जाता है एक प्रकार की राजनीतिक विचारधारा है इसकी शुरुआत 1840 के आसपास हुई थी। इस विचारधारा के अनुसार समाज में किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति को समाप्त करके पूरे समाज में समानता लाई जा सकती है यह विचारधारा कई देशों में फैली जर्मनी, सोवियत संघ, जर्मनी, उत्तर कोरिया, क्यूबा, वियतनाम जैसे देशों में इसका विस्तार हूवा।
साम्यवाद मुख्य रूप से पूंजीवाद का विरोध करता है साम्यवाद हमारे समाज को दो भागों में विभाजित मानता है।
- शोषक वर्ग
- शोषित वर्ग
यह विचारधारा उस वर्ग को शोषक वर्ग मानती है जिसके पास संसाधन की अधिकता है फिर चाहे वो खेतों खड़ी फसलें हो या नदियों में बहता पानी जो भी वस्तु हम पृथ्वी से प्राप्त कर सकते हैं उस पर किसी एक के अधिकार का यह घोर विरोध करता है।
इस विचारधारा के अनुसार जिसके पास भी यह संसाधन मौजूद होंगे वह इन संसाधनों की मदद से दूसरों का शोषण करता है।
Features Of Communism | साम्यवाद की विशेषताएं
- साम्यवाद के अनुसार एक समय शोषक और शोषित वर्ग के बीच एक बहुत बड़ा संघर्ष होगा और इस संघर्ष में शोषित वर्ग की जीत होगी क्योंकि शोषक वर्ग संख्या में बहुत कम है। शोषक वर्ग का अंत हो जाएगा उसके बाद कोई सरकार नहीं होगी दुनिया में सिर्फ शोषित वर्ग ही बचेगा और वह सभी एक-दूसरे के समान होंगे समाज में कोई छोटा-बड़ा नहीं होगा।
- उदाहरण के तौर पर हम समझ सकते हैं जैसे किसी कंपनी या कंपनी के समूह के मालिको की संख्या और उस में काम करने वाले मजदूरों की संख्या में बहुत बड़ा अंतर होता है और जब इनके बीच संघर्ष होगा तो जी मजदूरों की होगी।
- साम्यवाद के अनुसार जब हमारे समाज में समानता आ जाएगी सबको समान वेतन दिया जाएगा ।
- किसी की कार्य क्षमता के अनुसार वेतन न देकर आवश्यकता के अनुसार वेतन देने की पक्षधर है मुख्य रूप से यही समाजवाद और साम्यवाद का अंतर है समाजवाद कार्य के अनुसार वेतन देने की बात करता है और साम्यवाद आवश्यकता के अनुसार वेतन देने की बात करता है
- जैसे किसी व्यक्ति ने अगर ₹100 का काम किया है और उसे जरूरत ₹50 क्यों है तो उसे ₹50 ही दिए जाएंगे।
- समाजवाद कहता है अगर उसने ₹100 का काम किया है तो उसे ₹100 ही दिए जाएंगे।
Principles Of Communism | साम्यवाद के सिद्धांत
- साम्यवाद पूंजीवाद को खत्म करके समाज में समानता लाने की बात करता है।
- साम्यवाद लोकतंत्र का घोर विरोधी है लोकतंत्र को पूंजीपतियों के लिए तथा पूंजीपतियों द्वारा बनाई गई सरकार मानता है। साम्यवादियों के अनुसार लोकतंत्र में संसाधनों का उपयोग जनकल्याण के बजाय पूंजीपतियों के व्यक्तिगत लाभ के लिए इस्तेमाल होता है।
- साम्यवादी किसी भी धर्म में कोई आस्था नहीं रखते उनका मानना है धर्म गरीब को और गरीब और अमीर को और अमीर बनाने का मार्ग दिखाता है धर्म ने प्राचीन काल से ही गरीब को भाग्यवादी रूपी प्रमाण पत्र देकर उसे हमेशा एक निष्क्रिय दास बनना सिखाया है
- धर्म मनुष्य को अंधविश्वासी बनाता है धर्म का नाम लेकर लोगों का आर्थिक और राजनीतिक शोषण किया जाता है मार्क्स ने धर्म को जनता के लिए अफीम बताया है।
- साम्यवादियों का मानना है मनुष्य के जीवन में जितना महत्व आर्थिक वस्तुओं का है उतना धार्मिक और नैतिक चीजों का नहीं होना चाहिए।
- साम्यवादी अतिरिक्त मूल्य के सिद्धांत को लागू करना चाहते हैं।
- अतिरिक्त मूल्य जैसे अगर किसी टेलीविजन को बनाने और बाजार में उतारने का खर्च ₹2000 हैं और कंपनी द्वारा उसे ₹3000 में बेचा जा रहा है तो 1000 के लाभ सीधा मालिक को जाता है इसमें मजदूर का कोई हिस्सा नहीं होता । इस 1000 में मजदूर का हिस्सा मिलना चाहिए ये अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत है।
- साम्यवादी लोकतंत्र की व्यवस्था को पूंजीवादी व्यवस्था मानते हैं और इन पूंजी वादियों के खिलाफ हिंसा की क्रांति भी की जा सकती है बिना हिंसा की क्रांति के पूंजीवाद प्रथा खत्म नहीं किया जा सकता।
- साम्यवाद का मानना है गरीब मजदूर का कोई राष्ट्र नहीं होता है दुनिया के सभी मजदूरों को एक साथ आना चाहिए अगर सभी मजदूर एक साथ आएंगे तो यह शासक वर्ग हिलने लगेगा इस क्रांतिकारी आंदोलन में मजदूरों के पास खोने के लिए कुछ नहीं है केवल वह बेड़िया हैं और प्राप्त करने के लिए उनके पास संपूर्ण संसार है।
- मार्क्स ने एक नारा दिया था दुनिया के मजदूर एक हो।
कम्युनिस्ट को हिंदी में क्या कहते हैं?
कम्युनिस्ट को हिंदी में साम्यवादी, साम्यवाद का समर्थन करने वाला या मार्क्सवादी कहते है।
साम्यवाद की स्थापना कब हुई?
साम्यवाद की स्थापना 1840 के आसपास हुई थी
भारत में साम्यवाद की स्थापना कब हुई?
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